रुद्राभिषेक कितने प्रकार के होते है और रुद्राभिषेक के लाभ क्या है ?

By | 16 June 2023
Types of rudraabhishek and benefits

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दोस्तों जैसा की आप जानते है श्रावण मास यानी सावन का पवित्र महीना आने वाला हैं। कई लोग अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए अलग-अलग प्रकार के रुद्राभिषेक करते हैं। क्या आप जानते है रुद्राभिषेक क्या होता हैं ? रुद्राभिषेक कितनी तरह के होते हैं? किस तरह के रद्राभिषेक के क्या लाभ हैं ? अगर नहीं तो आइये जानते है इस ब्लॉग के सहारे।  

रुद्राभिषेक क्या होता हैं?

What is Rudraabhishek ?

रुद्राभिषेक का अर्थ होता है की शिवलिंग पर रूद्र मंत्रो द्वारा अभिषेक करना। अगर मनुष्य अपने जीवन में किसी विकट परिस्थिति या कोई कष्ट भोग रहा हो या कोई मनोकामना हो तो सच्चे मन से आप रुद्राभिषेक कर के देखें(Kya hota hain Rudraabhishek) आपके जीवन में जरुर और जरूर अभीष्ट लाभ के भागी बनेंगे। ग्रह से संबंधित दोषों और रोगों से भी छुटकारा पाने के लिए भी आप रुद्राभिषेक कर सकते है। साल में कुछ ऐसी तिथि भी होती है जब रूद्राभिषेक के बहुत ही विशेष लाभ होते है जैसे सावन सोमवार, प्रदोष और महाशिवरात्रि। 

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कौन – कौन से पदार्थ से अभिषेक करे? / रुद्राभिषेक के लिए क्या उपयोग करे 

Rudraabhishek Main Kya-Kya Samagry Lagti Hai?

जल : – जलाभिषेक करने पर वर्षा होती है।

कुशोदक (ऐसा जल जिसमें कुश घास की पत्तियाँ छोड़ी गई हों) : – कुशोदक से रुद्राभिषेक करने पर असाध्य रोगों को शांत किया जा सकता है।

दही : – दही से रुद्राभिषेक करने पर भवन वाहन की मनोकामनाएं पूर्ण होती है। 

गन्ने का रस : – गन्ने के रस से रुद्राभिषेक लक्ष्मी प्राप्ति के लिए किया जाता हैं। 

शहद और घी : – शहद और घी से अभिषेक करने पर धनवृद्धि होती है। 

तीर्थ के जल : –  मोक्ष प्राप्ति के लिए तीर्थो के जल से अभिषेक करें। 

इत्र : –  बीमारीयों को नष्ट करने के लिए इत्र मिले जल से अभिषेक करें।  

दुग्ध :-  दुग्ध अभिषेक पुत्र प्राप्ति के लिए किया जाता है। 

रुद्राभिषेक : – योग्य तथा विद्वान संतान प्राप्ति के लिए रूद्राभिषेक करें।

गंगा जल :-   गंगा जल और शीतल जल से रुद्राभिषेक करने पर ज्वर/बुखार से शान्ति मिलती है।

सहस्रनाम मंत्रों का उच्चारण एवं घृत की धारा : – वंश का विस्तार करने के लिए सहस्रनाम मंत्रों का उच्चारण के साथ निरंतर घृत की धारा से रुद्राभिषेक करे। 

•  दुग्धाभिषेक : – दुग्धाभिषेक करने पर प्रमेह रोग की शांति भी हो जाती है।

शकर मिले दूध : – इस प्रकार के दूध से रुद्राभिषेक करने पर जड़ बुद्धि वाला भी बुद्धिमान बनने लगता है।

सरसों के तेल : – शत्रु को पराजित करने के लिए सरसों के तेल से अभिषेक करे। 

शहद : – शहद से रुद्राभिषेक करने पर पातकों को नष्ट करने की कामना पूर्ण होती है। 

गोदुग्ध एवं शुद्ध घी : – आरोग्यता प्राप्त के लिए गोदुग्ध एवं शुद्ध घी रुद्राभिषेक करें। 

शकर मिश्रित जल : – पुत्र की कामना वाले लोग भी शक्कर मिले जल से अभिषेक करें।

हमेशा एक बात ध्यान रखें कि तांबे के बर्तन में पंचामृत, दही और दूध आदि पदार्थ नहीं डालना चाहिए। तांबे के पात्र में जल का तो अभिषेक अति उत्तम माना जाता है, परन्तु तांबे के पात्र से दूध का संपर्क उसे विष की तरह बना देता है, इसलिए हमें तांबे के पात्र में दूध का अभिषेक नहीं करना चाहिए है।

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कहाँ – कहाँ करना चाहिए रुद्राभिषेक(Rudraabhishek kha karna chahiye)

– मंदिर में रुद्राभिषेक करना भी उत्तम माना गया हैं 

– अति अति उत्तम होगा अगर किसी ज्योतिर्लिंग पर रुद्राभिषेक किया जाएं।

– ऐसे शिवलिंग जो नदी किनारे या पर्वत पर उपस्थित हो। 

– तिथि को देखते हुए घर पर विराजमान शिवलिंग पर भी रुद्राभिषेक किया जा सकता है।

– अगर किसी के पास शिवलिंग नहीं हो तो वह अंगूठे को शिवलिंग मान कर भी अभिषेक कर सकता है। 

रुद्राभिषेक का समय कब होता है? / रुद्राभिषेक कब करना चाहिए? / रुद्राभिषेक करने की तिथि क्या होती है?

हमारे धर्म में किसी भी कार्य करने के लिए महूर्त तथा तिथि का बहुत महत्व होता हैं। इसी तरह रुद्राभिषेक के लिए भी योग बनते है इन्ही योग में अभिषेक करना अति फलदायी होता हैं। 

1.  शिव जी की उपस्थिति रुद्राभिषेक के लिए विशेष होती है।

2. रुद्राभिषेक करने से पहले शिवजी का निवास जरूर देखे ऐसा नहीं करने पर, बुरा प्रभाव होता है।

शिव जी का मंगलकारी एवं शुभ निवास : –

वैसे तो हम मानते है की देवों के देव महादेव ब्रह्माण्ड के कण कण में वास करते हैं। परन्तु यह भी एक सत्य है की महादेव कभी मां गौरी के साथ कैलाश पर विराजते हैं। ज्योतिषाचार्याओं और विद्वानों का मत है की रुद्राभिषेक करने का सही समय वही होता है, जब भगवान शिवजी का निवास मंगलकारी एवं शुभ हो . . .

1. हर महीने की शुक्ल पक्ष की द्वितीया और नवमी को भगवान शिवजी माता पार्वती के साथ निवास करते हैं।

2. हर महीने की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा, अष्टमी और अमावस्या को भी भगवान शिवजी मां पार्वती के साथ निवास करते हैं।

3. कृष्ण पक्ष की चतुर्थी और एकादशी को भगवान शिव कैलाश वासी होते हैं। 

4. शुक्ल पक्ष की पंचमी और द्वादशी को भी महादेव कैलाश वासी होते हैं।

5. कृष्ण पक्ष पंचमी और द्वादशी को शिव शम्भू अपने वाहन वृषभ (नंदी) पर सवार होकर संपूर्ण जगत में भ्रमण करते हैं।

6. शुक्ल पक्ष की षष्ठी और त्रयोदशी की तिथि को शिवजी अपने वाहन नंदी पर सवार संपूर्ण जगत में भ्रमण करते हैं।

रुद्राभिषेक के लिए ये सभी तिथियों में शिवजी का निवास मंगलकारी होता है।

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कब रुद्राभिषेक नहीं होता? / कब रुद्राभिषेक नहीं करना चाहिए?(Kab Rudra Abhishek nhi karna chahiye, rudraabhishek Kab hota hai )

1. कृष्णपक्ष की सप्तमी और चतुर्दशी को महादेव शिव श्मशान समाधिलीन रहते हैं।

2. शुक्लपक्ष की प्रतिपदा, अष्टमी और पूर्णिमा को भी भगवान शिव श्मशान समाधिलीन रहते हैं।

3. कृष्ण पक्ष की द्वितीया और नवमी को देवों के देव महादेव देवताओं की समस्याएं सुनते हैं।

4. शुक्लपक्ष की तृतीया और दशमी में भी देवों के देव महादेव देवताओं की समस्याएं सुनते हैं।

5. कृष्णपक्ष की तृतीया और दशमी को नटराज रूप धारण कर क्रीड़ा करते हुए व्यस्त रहते हैं।

6. शुक्लपक्ष की चतुर्थी और एकादशी को भी नटराज रूप धारण कर क्रीड़ा में करते हुए व्यस्त रहते हैं।

7. कृष्णपक्ष की षष्ठी और त्रयोदशी को रुद्रदेव भोजन ग्रहण में व्यस्त रहते हैं।

8. शुक्लपक्ष की सप्तमी और चतुर्दशी को भी रुद्रदेव भोजन ग्रहण में व्यस्त रहते हैं।

इन तिथियों में कभी भी मनोकामना पूर्ण करने के लिए अभिषेक नहीं करना चाहिए।

दोस्तों, उम्मीद है आपको ब्लॉग की जानकारी जरूर अच्छी लगी होगी, अगर आपको भी किसी मंदिर या धर्म से जुडी कथा के बारे जानना है तो हमें जरूर बताये हम आपको पूरी पूरी जानकारी देने की कोशिश करेंगे। आप हमसे कमेंट बॉक्स या Email :- “gyanaxizweb@gmail.com” के सहारे संपर्क कर सकते है।

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