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Ganesh Sthapna 2025
गणेश स्थापना 2025 में 27 अगस्त 2025 को होने वाली है। गणेश स्थापना भद्रा पक्ष की चतुर्थी तिथि को की जाती हैं। सभी गणेश चतुर्थी का बड़ी बेसब्री से इंतजार करते हैं लेकिन यह कश्मकश बनी रहती है की गणेश जी की मूर्ति कैसी लाये, गणेश स्थापना 2025 का मुहूर्त इसीलिए यह आर्टिकल आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।
Ganesh Chaturthi 2025
ज्ञान और बुद्धि के देव श्री गणेशजी महाराज सभी देवताओं में प्रथम पूजनीय है। वे सभी गणो के अधिपति है इसलिए उन्हें गणाधिपति भी हैं, गणेशजी ऐसे देवता हैं जो हर प्रसंग में मनुष्य के जीवन को शुभ-लाभ की दिशा देते हैं। वे विघ्नहर्ता हैं, जीवन के सारे विघ्नो को दूर करने वाले। श्री गणेश की प्रतिमा घर लाने से पहले लोगो के मन में ये यह एक सवाल जरूर उठता है कि भगवान श्री गणेशजी की सूंड किस तरफ होनी चाहिए? गणेशजी की सूंड बाई तरफ क्यों होती है? गणेशजी की सूंड दाई तरफ क्यों होती है ? गणेशजी की सूंड सीधी क्यों है?। गणेशजी मुड़ी हुई सूंड के कारण ही इनको को श्री वक्रतुण्ड भी कहा जाता है। भगवान श्री गणेश के वक्रतुंड स्वरूप भी दो प्रकार के होते हैं। कुछ प्रतिमा या फोटो में गणेशजी की सूंड बाईं ओर होती है तो कुछ में दाईं ओर। गणपति जी दाईं में सूर्य का प्रभाव और बाईं सूंड में चंद्रमा का प्रभाव माना गया है। और भगवान श्री गणेशजी की सीधी सूंड तीनों तरफ से दिखती है।
गणेश की मूर्तियों का महत्व / गणेश प्रतिमा का महत्त्व
गणेश जी की अलग अलग मूर्तियों का अलग अलग तरह का महत्व होता है और इसी अनुसार उनके फलदायी परिणाम होते है। गणेशजी की सबसे ज्यादा पीले रंग, रक्त वर्ण की मूर्ति की उपासना करना शुभ माना जाता है। “उच्छिष्ट गणपति” कहलाने वाले गणेशजी की प्रतिमा का रंग हमेशा हरा होता हैं, इस तरह के गणेशजी को उपासना विशेष दशाओं में ही की जाती है। हल्दी का लेपन या हल्दी से बनी हुई मूर्ति को “हरिद्रा गणपति” भी कहते है। मनुष्य के लिए इस तरह की मूर्ति की उपासना करना मनोकामनाओं के लिए शुभ मानी जाती है।
सफेद रंग के गणेशजी को “ऋणमोचन गणेश” कहते हैं. इनकी उपासना और आराधना करने से मनुष्य को ऋणों से मुक्ति मिलती है। रक्त-वर्ण के चार भुजाओं वाले गणपति को “संकष्टहरण गणेश” कहते हैं. इनकी उपासना करने से ही संकटों का नाश होता है दस भुजाधारी, रक्तवर्ण और त्रिनेत्रधारी गणेश को ही “महागणपति” कहते हैं।
दाईं ओर घूमी हुई सूंड वाले गणेशजी / Dai Sund Wale Ganesh ji
कुछ विद्वानो के अनुसार जिस गणेश जी की सूंड दाईं (dai sund wale ganesh ji) ओर घूमी हुई होती हैं, वे थोड़े हठी होते है। सामान्य तौर पर ऐसी मुर्तियाँ ऑफिस और घर में नहीं रखी जाती या कम लोग ही ऐसी मुर्तियाँ घरो में स्थापित करते है। इस तरह की मुर्तियाँ स्थापित करने पर कई वाले लोगो को कई धार्मिक रीतियों का कड़ा पालन करना ज़रूरी हो जाता है। आमतौर पर इस तरह की प्रतिमा को मंदिरो में स्थापित करके वहीं उनकी पूजा अर्चना की जाती है। ऐसे गणेशजी का पूजन करने से विघ्न-विनाश, शत्रु पराजय, विजय प्राप्ति, उग्र तथा शक्ति प्रदर्शन जैसे कार्य करने के लिए अति – फलदायी होते है।सिद्धिविनायक कहलाने वाले गणेशजी की सूंड दायीं ओर घूमी हुई होती हैं। विद्वानों का कहना है इनके दर्शनमात्र से हर कार्य सिद्ध हो जाता है। अगर व्यक्ति किसी भी विशेष कार्य के लिए कहीं बाहर जाते समय यदि इनके दर्शन कर लेता है तो वह कार्य अवश्य ही सफल होता है और उस कार्य का शुभ फल प्राप्त होता है।
बाईं सूंड वाले गणेशजी/ Bai Sund Wale Ganesh Ji
विद्वानों की एक धारणा ये भी है की गणेशजी की जिस प्रतिमा की सूंड बाई तरफ होती है ऐसी प्रतिमा को पूजा घर में रखी जानी चाहिए। इस तरह के गणेशजी का पूजन करने से घर में सुख-शांति व समृद्धि जरूर आती है। ऐसी मूर्ति का पूजन स्थायी कार्यों के लिए किया जा सकता हैं। जैसे विवाह, धन प्राप्ति, संतान सुख, उन्नति, व्यवसाय, शिक्षा, पारिवारिक खुशहाली और सृजन कार्य। इस तरह के गणेश जी की फोटो घर के मुख्य द्वार पर लगाना शुभ माना जाता है। कुछ लोग घर के बाहर मुख्य द्वार पर भी बायीं ओर घूमी हुई सूंड वाले गणेशजी की स्थापना करते है। शास्त्रों और विद्वानों के अनुसार बायीं ओर घूमी हुई सूंड वाले गणपतिजी “विघ्नविनाशक” कहलाते हैं। घर में मुख्य द्वार पर लगाने के पीछे जानकार और वास्तुशास्त्र वालो का तर्क है कि जब भी व्यक्ति कहीं बाहर जाते हैं तो अपने साथ कई प्रकार की बलाएं, विपदाएं या नेगेटिव एनर्जी उसके साथ ले आता है। घर में प्रवेश करने से पहले जब वह व्यक्ति विघ्नविनाशक गणेशजी के दर्शन करता हैं तो भगवान के दर्शन के प्रभाव से यह सभी नेगेटिव एनर्जी घर के बाहर ही रूक जाती है और घर में प्रवेश नहीं कर पाती है।जिससे घर में पॉजीटिव एनर्जी का घेरा बना रहता है व वास्तु दोषों का विनाश होता है।
सीधी सूंड वाले गणेशजी/ Sidhi sund wale ganesh ji
दाईं और बाईं ओर मुड़ी हुई सूंड वाले गणेशजी की तरह ही सीधी सूंड वाली गणेशजी की मूर्ति का अपना अलग महत्व है, इस तरह की मूर्ति की उपासना और आराधना करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस तरह की मूर्ति की उपासना करना सर्वोत्तम माना गया है क्यों इससे व्यक्ति को रिद्धि-सिद्धि, कुण्डलिनी जागरण, समाधि, मोक्ष, आदि की प्राप्ती अवश्य होती है इसीलिए संत समाज अकसर इस तरह की मूर्ति की ही आराधना करता है।
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