
Anant Chaturdashi 2023 Date:- अनंत चतुर्दशी 2023 व्रत 28 सितम्बर 2023 को रखा जायगा। गणेश विसर्जन भी इसी दिन किया जाएगा। गणेश जी का आगमन 19 सितम्बर को हुआ था गणपति आगमन के दसवे दिन विसर्जन किया जाता है। गणेश विसर्जन व आगमन दोनों ही शुभ मुहूर्त देख कर ही करना चाहिए इसीलिए आज हम ले कर आए हैं अनंत चतुर्दशी व्रत का महत्त्व , कथा , मुहूर्त तथा गणेश विसर्जन से जुडी जानकारी।
Anant Chaturdashi Importance (अनंत चतुर्दशी का महत्व)
अनंत चतुर्दशी का व्रत भादव मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है अनंत चतुर्दशी को अनंत चौदस व्रत के नाम से भी जाना जाता है। अनंत चतुर्दशी के दिन ही अनंत सूत्र बाधा जाता हैं अनंत सूत्र को बांधने और व्रत करने का विशेष महत्त्व है यह व्यक्ति के जीवन में आने वाली बाधाओं से मुक्ति मिल जाती है। श्री गणेश विसर्जन भी अनंत चौदस के दिन किया जाता हैं। जहा भगवान गणेश धरती पर दस दिनों के लिए अपना आशीर्वाद बरसाने आते हैं और अनंत चौदस के दिन वापस जाते हैं लोग उनको विदा करने का दुःख के साथ अगले साल आने की ख़ुशी के साथ श्रीगणेश विसर्जन करते हैं।
अनंत चौदस का व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। इस व्रत को करने से भगवान विष्णु जी की कृपा व्यक्ति पर बनी रहती हैं। अनंत चौदस का व्रत नियम व पूजन सही समय पर करने से लाभ दुगुना हो जाता हैं .
Anant Chaturdashi Katha (अनंत चतुर्दशी से जुड़ी हुई कथा)
अनंत चतुर्दशी की कथा महाभारत काल से जुड़ी हुई है। पौराणिक कथा के अनुसार पांडवों के राज्य हीन होने के बाद श्री कृष्ण ने उन्हें अनंत चतुर्दशी का व्रत रखने का सुझाव दिया। इसके बाद पांडवों ने हर हाल में राज्य वापस पाने के लिए व्रत करने के लिए सोचा परंतु उनके मन में कई प्रश्न थे। जिनका उत्तर उन्होंने श्री कृष्ण से पूछा जैसे कि यह अनंत कौन है और इस का व्रत क्यों करना है। उत्तर देते हुए श्री कृष्ण ने कहा कि श्री हरि के स्वरूप को ही अनंत कहा जाता है और यदि उनका व्रत रखा जाए तो ऐसा करने से जिंदगी में आने वाले सारे संकट खत्म हो जाते हैं।
इस पर्व से एक और कथा प्रचलित है; उस कथा के अनुसार सुमंत नाम का एक वशिष्ठ गोत्र ब्राह्मण इसी नगरी में रहता था। उनका विवाह महा ऋषि भृगु की पुत्री दीक्षा से हुआ। इन दोनों की संतान का नाम सुशीला था। दीक्षा की जल्दी ही मृत्यु हो गई इसलिए सुमंत ने कर्कशा नामक कन्या से विवाह कर लिया। उन्होंने अपनी पुत्री का विवाह कौंडिण्य मुनि से करवाया परंतु कर्कशा के क्रोध के चलते सुशीला एकदम साधन हीन हो गई और वह अपने पति के साथ जब एक नदी पर पहुंची तो उसने कुछ महिलाओं को व्रत करते हुए देखा। उसने भी अपनी समस्याओं के निवारण के लिए चतुर्दशी व्रत रखना शुरू किया और इस तरह व्रत रखने के बाद उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो गई।
Ganesh Visarjan 2023 अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति जी का विसर्जन
अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश जी का विसर्जन किया जाता है। अनंत चतुर्दशी के दिन ही गणेश जी का विसर्जन इसीलिए किया जाता हैं कियुकी पौराणिक कथा के अनुसार जिस दिन वेदव्यास जी ने महाभारत लिखने के लिए गणेश जी को महाभारत की कथा सुनानी शुरू की उस दिन भाद्र शुक्ल चतुर्दशी या गणेश चर्तुर्थी तिथि थी। कथा सुनाते समय वेदव्यास जी ने आंखें बंद कर ली थी और गणेश जी को लगातार 10 दिनों तक वह कथा सुनाते रहे थे। गणेश जी का काम कथा लिखना था और वह लगातार 10 दिनों तक तथा लिखते रहे। दसवे दिन जब वेदव्यास जी ने आंखें खोली तो उन्होंने देखा कि एक जगह बैठकर लगातार लिखते रहने से गणेश जी के शरीर का तापमान काफी ज्यादा बढ़ गया था। ऐसे में वेदव्यास जी ने गणेश जी को ठंडक प्रदान करने के लिए ठंडे जल में डुबकी लगाई थी , डुबकी लगाने के लिए वह उन्हें अलकनंदा और सरस्वती नदी के संगम पर ले गए। जिस दिन उन्होंने गणेश जी को डुबकी लगवाई उस दिन अनंत चतुर्दशी का दिन था। इस दिन गणेश जी का विसर्जन किया जाता है।
गणेश जी की स्थापना मनोकामना की पूर्ति के लिए की जाती हैं। कहा जाता हैं इन दस दिनों में भगवान श्री कृष्ण धरती पर निवास करते हैं जिससे वह व्यक्ति की हर मनोकामना को पूरी कर देते हैं और सुख समृद्धि प्रदान करते हैं।
अनंत चतुर्दशी की पूजा विधि (Anant Chaturdashi 2023 Puja Vidhi)
- अनंत चतुर्दशी की पूजा, आराधना तथा व्रत करने के भी कुछ नियम है जिसका पालन करने से मनुष्य के जीवन में कर्ज, मनोकामना तथा कोई भी विपदा हो उससे मुक्ति मिल जाती हैं।
- अनंत चतुर्दशी के दिन सुबह सूरज निकालने से पहले जल्दी उठकर स्नान कर लेना चाहिए।
- स्नान करने के बाद घर के मंदिर की सफाई कर दीप जलाना चाहिए।
- मंदिर में स्थित सभी देवी देवताओं का गंगाजल से अभिषेक करवाना चाहिए।
- गणेश पूजा में सबसे पहले गणेश जी का प्रतीक चिन्हस्वास्तिक बनाने के बाद पहले गणेश जी की पूजा की जाती है और इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।
- भगवान गणेश को सिंदूर , दूर्वा घास चढ़ाई जाती है। कहा जाता हैं जो गणेशजी को दूर्वा समर्पित करने से जल्दी प्रसन्न होते हैं।
- भगवान विष्णु को फूल और तुलसी अर्पित किए जाते हैं।
- इसके बाद गणेश जी और भगवान विष्णु को भोग लगाया जाता है तथा गणेश जी को लड्डू का भोग लगाया जाता है।
- इस दिन इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखा जाता है कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का ही भोग लगाया जाए और भगवान विष्णु के भोग में तुलसी जी को अवश्य शामिल किया जाता है; मान्यता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं सकते।
- इस दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ माता लक्ष्मी जी की भी पूजा अर्चना की जाती है।
- पूजा सामग्री के लिए भगवान गणेश की प्रतिमा, लालकपड़ा, दर्वा, जनेऊ, कलश, नारियल, पंचामृत, पंचमेवा गंगाजल, रोली, मौली लाल, श्री विष्णु जी का चित्र अथवा मूर्ति, पुष्प, नारियल, सुपारी, फल, लॉन्ग, धूप, दीप, देसी घी, अक्षत, तुलसी दल, चंदन, मिष्ठान का इस्तेमाल पूजा के दौरान किया जाता है।
Anant Chaturdashi 2023 Date & Muhurat
अनंत चतुर्दशी गुरूवार 28 September 2023 को मनाई जायगी।
अनंत चतुर्दशी का पूजा मुहूर्त
गुरुवार 28 सितंबर, 2023 को शाम 6:12 AM पर शुरू होगा और को शाम 6:49 पर समाप्त होगा।
FAQs
Why is Anant Chaturdashi celebrated?
We worship Lord vishnu on this day and ganesh Ideal visarjan .
When is Anant Chaturdashi 2023?
September 28, 2023
When will chaturdashi tithi start and end?
The chaturdashi tithi will start at 10:18PM on September 27 and end at 6:49PM on September 28.