Raksha Bandhan 2024: राखी बांधने का शुभ मुहूर्त और कहानी आखिर क्यों माँ लक्ष्मी ने बनाया राजा बलि को भाई

By | 14 December 2023
Raksha Bandhan Muhurat ,Mata Lakshmi Tied Rakhi to Raja Bali

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Raksha Bandhan 2024

पिछले साल की तरह इस वर्ष भी रक्षा बंधन पर भद्रा का साया हैं। और हर किसी के मन में एक ही सवाल हैं की रक्षा बंधन 19 अगस्त को बनाया जायगा। इसीलिए हम इस सामजस्य को दूर करते हुए बता रहे की रक्षा बंधन 19 अगस्त को क्यों मनाया जायगा।

रक्षाबंधन 2024 में सोमवार , 19 अगस्त सावन मास की पूर्णिमा को है. इस साल रक्षा बंधन पर भद्रा का साया रहेगा। भद्रा पुंछ 19 अगस्त को सुबह 09 बजकर 51 मिनट से 10 बजकर 53 मिनट तक रहेगी। भद्रा मुख सुबह 10 बजकर 53 मिनट से दोपहर 12 बजकर 37 मिनट तक रहेगी। भद्रा 19 अगस्त को सुबह 05:52 से दोपहर 01:32 बजे तक रहेगी।। क्युकी भद्राकाल में राखी बांधना शुभ नहीं माना गया है।

साल 2024 में राखी बांधने का शुभ मुहूर्त 19 अगस्त 2024 दोपहर 01:30 से रात 09:07 तक रहेगा। इसके बाद दूसरा मुहूर्त दोपहर 01:42 से दोपहर 04:19 तक रहने वाला है। रक्षा बंधन पर राखी बांधने का तीसरा या प्रदोष काल का मुहूर्त शाम 06:55 से रात 09:07 तक रहेगा।

माँ लक्ष्मी से जुडी रक्षा बंधन की कहानी(Story of Raksha Bandhan Maa Lakshmi And Bali )

यह बात बहुत पहले की है जब इस धरती और स्वर्ग के शासन करने के लिए देवताओ और असुरो में युद्ध हुआ करता था। उसी समय एक बार असुरों के राजा बलि जो भगवान विष्णु के अनन्य भक्त थे। असुर होते हुए भी दान – पुण्य और मानवता पर बहुत विश्वास करते थे। एक बार असुर राज बली ने विशेष प्रकार के 100 यज्ञ पुरे कर लिए थे। अब राजा बलि स्वर्ग पर आक्रमण करने की सोच रहा था। तभी देवतओं को डर लगने लगा की 100 पुरे कर चूका है और अब वह स्वर्ग पर आक्रमण कर सकता हैं। करते ही वह तीनो लोको पर अधिकार कर लेगा जिससे स्वर्ग भी देवताओं के हाथ से छूट जाएगा। इस डर से सभी देवता भगवान विष्णु के पास गए और उन्होंने ने अपनी चिंता बताई।

अब भगवान विष्णु ने धरती और स्वर्ग पर असुरों के शासन से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने एक नया अवतार लिया जिसका नाम था वामन अवतार। भगवान वामन ज्यादा लम्बे नहीं थे और छोटे छोटे कदमों से बलि के यज्ञ पंडप पर पहुंचे। चूँकि सैनको को पता था की राजा बलि दानी है अगर हमने इस छोटे ब्राम्हण को ऐसे ही भगा दिया तो अच्छा नहीं होगा। इसलिए सैनिको ने राजा बलि को ये बात बताई।

राजा बलि सुनते ही ब्राह्मण को दान देने के लिए आने लगे किन्तु असुरों के गुरु शुक्राचार्य ने भगवान विष्णु को पहचान लिया और राजा बलि को समझाते हुए बोलै की राजन “ये ब्राम्हण भेष में स्वयं भगवान विष्णु है, कृपया आप किसी भी दान का इनको वचन मत देना” ये सुनकर राजा बलि हँसते हुए बोला “गुरुदेव, संसार का संचालन करने वाला स्वयं मेरे द्वार पर भेष बदल कर आया हैं और अगर ये कोई साधारण ब्राम्हण होते फिर भी मैं उन्हें माँगा हुआ दान देता ये तो स्वयं विष्णु है जो मुझसे कुछ लेने आये है।”

बाहर जाकर राजा बलि ने ब्राम्हण का स्वागत किया और पूछा की “हे ब्राम्हण देव, मुझे बताईये मैं किस प्रकार आपकी सेवा कर सकता हूँ” ब्राम्हण ने कहा की “राजन मुझे आपसे कुछ दान की अपेक्षा है, किन्तु आपको पहले संकल्प लेना होगा की जो मुझे चाहिए वो आप जरूर देंगे।” तभी भगवान वामन ने अपने कमंडल से जल निकाल कर बलि को संकल्प दिलवा दिया।

अब बलि ने कहा की मुझे बताये आपको क्या दान की अपेक्षा हैं। भगवान ने कहा “राजन मुझे सिर्फ 3 पग भूमि चाहिए जो तुम्हारे अधिपत्य में है” राजा बलि सहर्ष मान गया। और उनसे तीन पग नापने को कहा, पहले ही कदम में छोटे से भगवान वामन ने बड़ा रूप धारण कर धरती नापली, दूसरे पग में भगवान ने स्वर्ग के साथ साथ आकाश नाप लिया। बलि समझ गया की भगवान उससे क्या लेने आये थे।

जब तीसरे पग के लिए भगवान के पास अब कोई जगह नहीं बची तो बलि ने कहा की “भगवान आपको तीसरा पग तो उठाना ही होगा में जानता हु की आपने मेरे जीते हुए सारे लोक और भूमि को दोनों पगो में नाप लिया है लेकिन चूँकि मेरा वचन तो 3 पग का था और वो तो आपको लेना ही होगा।” तो हँसते हुए भगवान ने कहा की बलि तीसरा पग नापने के लिए अब इस संसार में कोई जगह शेष नहीं बची है, इसलिए तुम चाहो तो में तीसरा पग क्षमा कर सकता हूँ ” बलि ने कहा “प्रभु, मैं जनता हु किन्तु अभी भी एक ऐसी चीज़ है जो मेरी है और मेरे संकल्प को मैं तोड़ नहीं सकता इसलिए अब मेरी देह पर ही मेरा अधिकार रह गया है इसलिए आप मेरे सर पर तीसरा पग रखे” तीसरा पग उसके माथे पर रखते ही राजा बलि पाताल में चला गया। भगवान उसकी दानशीलता देख कर प्रसन्न हो गए और वरदान मांगने को कहा तो बलि ने कहा की “प्रभु, मेरी यही इच्छा की आप यही मेरे साथ रहे और हर समय मुझे आपके दर्शन हो।” ये सुनकर भगवान वही पाताल में उसके साथ रूक गए।

जब माता लक्ष्मी को सारी बात की जानकारी लगी तो वे भगवान शंकर के पास पहुंची और अपनी चिंता बताई भगवान शिव ने उन्हें बलि को रक्षा सूत्र में बांधने की युक्ति बताई और माता के साथ अपने नाग वासुकि को भी भेजा उनकी सहायता के लिए।

जब माता लक्ष्मी पाताल पहुंची तो उन्होने एक स्त्री का रूप कर लिया और नागराज वासुकि ने एक रक्षा सूत्र का और बलि के पास जाकर उन्होंने राजा बलि को रक्षा सूत्र बांधने की इच्छा जताई, राजा बलि तुरंत मान गए और जैसे ही रक्षा सूत्र बंधा वैसे ही माता लक्ष्मी ने अपना रूप धारण कर लिया और बलि से बोली की “हे बलि, चूँकि ये रक्षा सूत्र मैंने तुम्हे बांधा है और अब तुम पातल के राजा भी हो, एक समय समुद्र मंथन के बाद में भी पातल से उत्पन्न हुयी थी इसलिए मैं तुम्हारी बहन सामान हूँ, बलि माता लक्ष्मी से को बहन के रूप में देख कर बहुत ही प्रसन्न हुआ और अपनी बहन से बोला की बहन आपने मुझे ये रक्षा सूत्र बांधा है। मैं सदैव आपकी भाई के रूप में रक्षा करूँगा और अब मुझे बताये आप की क्या सहायता करनी है। माता ने कहा की आप श्री हरी को अपने बंधन से मुक्त कर दीजिए। बलि ने ऐसा ही किया तब माता लक्ष्मी ने कहा की बलि ये जो रक्षा सूत्र में तुम्हे बाँधा है ये कोई साधारण रक्षा सूत्र नहीं है ये स्वयं वासुकि है। और अब से जो भी स्त्री किसी को भाई बनाकर रक्षा सूत्र बांधेगी और उससे रक्षा का वचन लेगी भाई उसकी रक्षा करने अवश्य जाएगा और बंधा हुआ रक्षा सूत्र वासुकि रूप में भाई की रक्षा करेगा।

जिस दिन माता ने बलि को रक्षा सूत्र बाँधा था उस दिन की तिथि “श्रावण मास की पूर्णिमा” थी, और उस दिन से ही रक्षा-बंधन मनाया जाने लगा।

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रक्षा बंधन का महत्त्व(importance of raksha bandhan)

इस कहानी के अनुसार रक्षा सूत्र के बंधने के बाद भाई अपनी बहन को सदा किसी भी परिस्ठिती में रक्षा करने का वचन देता है और बहन की तरफ से रक्षा सूत्र वासुकि के सामान भाई की रक्षा करता हैं।

दोस्तों, इस कहानी में आपको पता चल ही गया होगा की रक्षा बंधन क्यों मनाई जाती है (Why we Celebrate Raksha Bandhan), रक्षा बंधन का महत्त्व क्या है जैसी जानकारी तो मिल ही गयी होगी।

जानें राखी बांधने का शुभ मुहूर्त

Raksha Bandhan 2024 Date Time

भाई – बहन के प्रेम पर्व रक्षाबंधन को कल मनाया जाएगा। इस रक्षाबंधन (Raksha Bandhan 2024 Date Time) भद्रा काल लग़ने वाला है जिसकी वजह से राखीबांधने के शुभ मुहूर्त में लोगो के लिए थोड़ी भ्रम की स्थिति बनी हुई है। कुछ लोग परेशान है की सावन में पूर्णिमा तिथि कब तक रहेगी। यदि इस बार पूर्णिमा में भद्रा लग रही है तो क्या इसमें राखी बांधना शुभ है या अशुभ इस तरह के प्रश्न सभी के मन में उठ रहे है। हमारे शास्त्रों के अनुसार भद्राकाल में किसी भी प्रकार का मांगलिक कार्य करना शुभ नहीं माना है। 19 अगस्त क पूर्णिमा लग जाएगी। इस बार सावन पूर्णिमा तिथि के साथ ही भद्रा 19 अगस्त को सुबह 05:52 से दोपहर 01:32 बजे तक रहेगी । आइए जानते हैं रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त, मंत्र के बारे में।

पिछले साल की तरह इस वर्ष भी रक्षा बंधन पर भद्रा का साया हैं। और हर किसी के मन में एक ही सवाल हैं की रक्षा बंधन 19 अगस्त को बनाया जायगा। इसीलिए हम इस सामजस्य को दूर करते हुए बता रहे की रक्षा बंधन 19 अगस्त को क्यों मनाया जायगा।

रक्षाबंधन 2024 में सोमवार , 19 अगस्त सावन मास की पूर्णिमा को है. इस साल रक्षा बंधन पर भद्रा का साया रहेगा। भद्रा पुंछ 19 अगस्त को सुबह 09 बजकर 51 मिनट से 10 बजकर 53 मिनट तक रहेगी। भद्रा मुख सुबह 10 बजकर 53 मिनट से दोपहर 12 बजकर 37 मिनट तक रहेगी। भद्रा 19 अगस्त को सुबह 05:52 से दोपहर 01:32 बजे तक रहेगी।। क्युकी भद्राकाल में राखी बांधना शुभ नहीं माना गया है।

साल 2024 में राखी बांधने का शुभ मुहूर्त 19 अगस्त 2024 दोपहर 01:30 से रात 09:07 तक रहेगा। इसके बाद दूसरा मुहूर्त दोपहर 01:42 से दोपहर 04:19 तक रहने वाला है। रक्षा बंधन पर राखी बांधने का तीसरा या प्रदोष काल का मुहूर्त शाम 06:55 से रात 09:07 तक रहेगा।

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Raksha Bandhan 2024 Mahurat रक्षाबंधन पर शुभ योग

19 अगस्त, गुरुवार को बनने वाले योग: आयुष्मान, सौभाग्य और ध्वज योग

19 अगस्त, गुरुवार को बनने वाले राजयोग: शंख, हंस और सत्कीर्ति राजयोग .

चौघडिया शुभ मुहूर्त- 19 अगस्त 2024
शुभ प्रात: 06 -7.39
चर दिन: 10.53- 12.31
लाभ दिन: 12.31- 02.8
अमृत दिन: 02.08- 03.46
शुभ सायं: 05.23- 07.1
अमृत रात्रि: 07.00-08.23
चर रात्रि: 08.23-09.46
वृश्चिक लग्न दिन:01.33- 03.23

रक्षाबंधन 2024 प्रदोष मुहूर्त
प्रदोष मुहूर्त: 20:52:15 से 21:13:18

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Raksha Bandhan Par Bhadra Kal रक्षाबंधन पर भद्रा

रक्षा बंधन भद्रा मुख: सुबह 10 बजकर 59 मिनट से
रक्षा बंधन भद्रा काल समाप्त: रात 9 बजकर 02 मिनट पर

Raksha Bandhan Ka Mantra रक्षाबंधन पर करें इस मंत्र का जाप


येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि ,रक्षे माचल माचल:।

अर्थ- इस मन्त्र का अर्थ है कि “जो रक्षा धागा परम कृपालु राजा बलि को बांधा गया था, वही पवित्र धागा मैं तुम्हारी कलाई पर बाँधता हूँ, जो तुम्हें सदा के लिए विपत्तियों से बचाएगा”।

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