Raksha Bandhan 2025: राखी बांधने का शुभ मुहूर्त और कहानी आखिर क्यों माँ लक्ष्मी ने बनाया राजा बलि को भाई

By | 17 December 2024
Raksha Bandhan Muhurat ,Mata Lakshmi Tied Rakhi to Raja Bali

Raksha Bandhan 2025 Date : रक्षा बंधन पर जाने माँ लक्ष्मी और बलि की कहानी , इस साल रक्षा बंधन पर भद्रा का साया हैं इसीलिए रक्षा बंधन का मुहूर्त और भद्रा काल कब से कब तक रहेगा यह जानना और जरुरी हो जाता हैं।

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Raksha Bandhan 2025

इस साल रक्षा बंधन 2025 में रक्षा बंधन पर भद्रा का साया हैं। भद्रा के समय में कोई कार्य करना शुभ नहीं माना जाता हैं। भद्रा के समय में रक्षाबंधन पर राखी भी नहीं बंधी जा सकती इसीलिए हर किसी के मन में एक ही सवाल हैं की रक्षा बंधन 2025 कब मनाया जायगा और भद्रा कब से कब तक हैं। इसीलिए हम इस सामजस्य को दूर करते हुए बता रहे की रक्षा बंधन कब और क्यों मनाया जायगा, मुहूर्त और रक्षा बंधन के पीछे की कहानी ।

रक्षा बंधन का त्यौहार ( Raksha Bandhan Festival) सावन माह की पूर्णिंमा तिथि को मनाया जाता हैं और इस रक्षा बंधन 2025 में सावन के सोमवार के दिन आ रहा हैं जिससे इसका महत्त्व बहुत बढ़ गया। यह त्यौहार भाई बहन के प्रेम का प्रतिक होता हैं। बहन बड़े प्रेम से भाई के लिए राखी या कहे रक्षा सूत्र लाती हैं बदले में भाई बहन की जीवन भर रक्षा करने का वादा कर गिफ्ट भी देता हैं।

रक्षा बंधन 2025 Date की बात करें तो वह 9 अगस्त 2025 शनिवार के दिन मनाया जायगा। हालांकि किन्ही किन्ही परिवारों में पूर्णिमा से ले कर एकादशी के बिच में दिनों में भी राखी बाँधी जाती हैं।

Raksha Bandhan 2025 Important Highlights

भाई – बहन के प्रेम पर्व रक्षाबंधन को कल मनाया जाएगा। इस रक्षाबंधन (Raksha Bandhan 2025 Date Time) भद्रा काल लग़ने वाला है जिसकी वजह से राखीबांधने के शुभ मुहूर्त में लोगो के लिए थोड़ी भ्रम की स्थिति बनी हुई है।

कुछ लोग परेशान है की सावन में पूर्णिमा तिथि कब तक रहेगी। यदि इस बार पूर्णिमा में भद्रा लग रही है तो क्या इसमें राखी बांधना शुभ है या अशुभ इस तरह के प्रश्न सभी के मन में उठ रहे है।

रक्षाबंधन से जुडी महत्वपूर्ण जानकारियाँ निचे दी गयी हैं जो आपको इस भारतीय त्यौहार को अच्छे से व उत्सव के साथ मनाने में मदद करेंगी।

1.Article CategoryIndian Festival
2.Festival NameRaksha Bandhan 2025
3.Raksha Bandhan 2025 Date9 August 2025
4.Raksha Bandhan Muhurat (राखी बांधने का शुभ मुहूर्त)सुबह 05 बजकर 47 मिनट से दोपहर 01 बजकर 24 मिनट
5.अवधि 07 घण्टे 37 मिनट्स

माँ लक्ष्मी से जुडी रक्षा बंधन की कहानी (Story of Raksha Bandhan Maa Lakshmi And Bali )

यह बात बहुत पहले की है जब इस धरती और स्वर्ग के शासन करने के लिए देवताओ और असुरो में युद्ध हुआ करता था। उसी समय एक बार असुरों के राजा बलि जो भगवान विष्णु के अनन्य भक्त थे। असुर होते हुए भी दान – पुण्य और मानवता पर बहुत विश्वास करते थे। एक बार असुर राज बली ने विशेष प्रकार के 100 यज्ञ पुरे कर लिए थे।

अब राजा बलि स्वर्ग पर आक्रमण करने की सोच रहा था। तभी देवतओं को डर लगने लगा की 100 पुरे कर चूका है और अब वह स्वर्ग पर आक्रमण कर सकता हैं। करते ही वह तीनो लोको पर अधिकार कर लेगा जिससे स्वर्ग भी देवताओं के हाथ से छूट जाएगा। इस डर से सभी देवता भगवान विष्णु के पास गए और उन्होंने ने अपनी चिंता बताई।

अब भगवान विष्णु ने धरती और स्वर्ग पर असुरों के शासन से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने एक नया अवतार लिया जिसका नाम था वामन अवतार। भगवान वामन ज्यादा लम्बे नहीं थे और छोटे छोटे कदमों से बलि के यज्ञ पंडप पर पहुंचे। चूँकि सैनको को पता था की राजा बलि दानी है अगर हमने इस छोटे ब्राम्हण को ऐसे ही भगा दिया तो अच्छा नहीं होगा। इसलिए सैनिको ने राजा बलि को ये बात बताई।

राजा बलि सुनते ही ब्राह्मण को दान देने के लिए आने लगे किन्तु असुरों के गुरु शुक्राचार्य ने भगवान विष्णु को पहचान लिया और राजा बलि को समझाते हुए बोलै की राजन “ये ब्राम्हण भेष में स्वयं भगवान विष्णु है, कृपया आप किसी भी दान का इनको वचन मत देना” ये सुनकर राजा बलि हँसते हुए बोला “गुरुदेव, संसार का संचालन करने वाला स्वयं मेरे द्वार पर भेष बदल कर आया हैं और अगर ये कोई साधारण ब्राम्हण होते फिर भी मैं उन्हें माँगा हुआ दान देता ये तो स्वयं विष्णु है जो मुझसे कुछ लेने आये है।”

बाहर जाकर राजा बलि ने ब्राम्हण का स्वागत किया और पूछा की “हे ब्राम्हण देव, मुझे बताईये मैं किस प्रकार आपकी सेवा कर सकता हूँ” ब्राम्हण ने कहा की “राजन मुझे आपसे कुछ दान की अपेक्षा है, किन्तु आपको पहले संकल्प लेना होगा की जो मुझे चाहिए वो आप जरूर देंगे।” तभी भगवान वामन ने अपने कमंडल से जल निकाल कर बलि को संकल्प दिलवा दिया।

अब बलि ने कहा की मुझे बताये आपको क्या दान की अपेक्षा हैं। भगवान ने कहा “राजन मुझे सिर्फ 3 पग भूमि चाहिए जो तुम्हारे अधिपत्य में है” राजा बलि सहर्ष मान गया। और उनसे तीन पग नापने को कहा, पहले ही कदम में छोटे से भगवान वामन ने बड़ा रूप धारण कर धरती नापली, दूसरे पग में भगवान ने स्वर्ग के साथ साथ आकाश नाप लिया। बलि समझ गया की भगवान उससे क्या लेने आये थे।

जब तीसरे पग के लिए भगवान के पास अब कोई जगह नहीं बची तो बलि ने कहा की “भगवान आपको तीसरा पग तो उठाना ही होगा में जानता हु की आपने मेरे जीते हुए सारे लोक और भूमि को दोनों पगो में नाप लिया है लेकिन चूँकि मेरा वचन तो 3 पग का था और वो तो आपको लेना ही होगा।”

तो हँसते हुए भगवान ने कहा की बलि तीसरा पग नापने के लिए अब इस संसार में कोई जगह शेष नहीं बची है, इसलिए तुम चाहो तो में तीसरा पग क्षमा कर सकता हूँ ” बलि ने कहा “प्रभु, मैं जनता हु किन्तु अभी भी एक ऐसी चीज़ है जो मेरी है और मेरे संकल्प को मैं तोड़ नहीं सकता इसलिए अब मेरी देह पर ही मेरा अधिकार रह गया है इसलिए आप मेरे सर पर तीसरा पग रखे”

तीसरा पग उसके माथे पर रखते ही राजा बलि पाताल में चला गया। भगवान उसकी दानशीलता देख कर प्रसन्न हो गए और वरदान मांगने को कहा तो बलि ने कहा की “प्रभु, मेरी यही इच्छा की आप यही मेरे साथ रहे और हर समय मुझे आपके दर्शन हो।” ये सुनकर भगवान वही पाताल में उसके साथ रूक गए।

जब माता लक्ष्मी को सारी बात की जानकारी लगी तो वे भगवान शंकर के पास पहुंची और अपनी चिंता बताई भगवान शिव ने उन्हें बलि को रक्षा सूत्र में बांधने की युक्ति बताई और माता के साथ अपने नाग वासुकि को भी भेजा उनकी सहायता के लिए।

जब माता लक्ष्मी पाताल पहुंची तो उन्होने एक स्त्री का रूप कर लिया और नागराज वासुकि ने एक रक्षा सूत्र का और बलि के पास जाकर उन्होंने राजा बलि को रक्षा सूत्र बांधने की इच्छा जताई, राजा बलि तुरंत मान गए और जैसे ही रक्षा सूत्र बंधा वैसे ही माता लक्ष्मी ने अपना रूप धारण कर लिया और बलि से बोली की “हे बलि, चूँकि ये रक्षा सूत्र मैंने तुम्हे बांधा है और अब तुम पातल के राजा भी हो, एक समय समुद्र मंथन के बाद में भी पातल से उत्पन्न हुयी थी इसलिए मैं तुम्हारी बहन सामान हूँ,

बलि माता लक्ष्मी से को बहन के रूप में देख कर बहुत ही प्रसन्न हुआ और अपनी बहन से बोला की बहन आपने मुझे ये रक्षा सूत्र बांधा है। मैं सदैव आपकी भाई के रूप में रक्षा करूँगा और अब मुझे बताये आप की क्या सहायता करनी है। माता ने कहा की आप श्री हरी को अपने बंधन से मुक्त कर दीजिए।

बलि ने ऐसा ही किया तब माता लक्ष्मी ने कहा की बलि ये जो रक्षा सूत्र में तुम्हे बाँधा है ये कोई साधारण रक्षा सूत्र नहीं है ये स्वयं वासुकि है। और अब से जो भी स्त्री किसी को भाई बनाकर रक्षा सूत्र बांधेगी और उससे रक्षा का वचन लेगी भाई उसकी रक्षा करने अवश्य जाएगा और बंधा हुआ रक्षा सूत्र वासुकि रूप में भाई की रक्षा करेगा।

जिस दिन माता ने बलि को रक्षा सूत्र बाँधा था उस दिन की तिथि “श्रावण मास की पूर्णिमा” थी, और उस दिन से ही रक्षा-बंधन मनाया जाने लगा।

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रक्षा बंधन का महत्त्व (importance of raksha bandhan)

रक्षाबंधन का हर भाई बहन का विशेष त्यौहार होता हैं जैसे अपने कहानी पढ़ा बहन भाई को रक्षा सूत्र या राखी बाँधने के बाद भाई अपनी बहन को सदा किसी भी परिस्ठिती में रक्षा करने का वचन देता है और बहन की तरफ से रक्षा सूत्र वासुकि के सामान भाई की रक्षा करता हैं।

इस त्यौहार से भाई बहन का प्रेम बढ़ता हैं और माता पिता के जाने के बाद भी बहन के प्रति जिम्मेदारी का अहसास दिलाता हैं। यह भी हैं की इस दिन जिन भाइयों की बहने नहीं होती या जिन बहनो के भाई नहीं होते वे दुखी होते हैं। परन्तु मुँह बोले भाई या बहन बना कर उनके साथ इस त्यौहार का आनंद ले सकते हैं।

जब तक हो सके अपनी खुद की बहन से ही राखी बंधवाना चाहिए।

दोस्तों, इस कहानी में आपको पता चल ही गया होगा की रक्षा बंधन क्यों मनाई जाती है (Why we Celebrate Raksha Bandhan), रक्षा बंधन का महत्त्व क्या है जैसी जानकारी तो मिल ही गयी होगी।

जानें राखी बांधने का शुभ मुहूर्त

Raksha Bandhan 2025 Date Time

भाई – बहन के प्रेम पर्व रक्षाबंधन 9 अगस्त 2025 शनिवार मनाया जाएगा। इस रक्षाबंधन (Raksha Bandhan 2024 Date Time) भद्रा काल लग़ने वाला है जिसकी वजह से राखीबांधने के शुभ मुहूर्त में लोगो के लिए थोड़ी भ्रम की स्थिति बनी हुई है।

हमारे शास्त्रों के अनुसार भद्राकाल में किसी भी प्रकार का मांगलिक कार्य करना शुभ नहीं माना है। 19 अगस्त क पूर्णिमा लग जाएगी। इस बार सावन पूर्णिमा तिथि के साथ ही भद्रा 19 अगस्त को सुबह 05:52 से दोपहर 01:32 बजे तक रहेगी । आइए जानते हैं रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त, मंत्र के बारे में।

पिछले साल की तरह इस वर्ष भी रक्षा बंधन पर भद्रा का साया हैं। और हर किसी के मन में एक ही सवाल हैं की रक्षा बंधन 19 अगस्त को बनाया जायगा। इसीलिए हम इस सामजस्य को दूर करते हुए बता रहे की रक्षा बंधन 19 अगस्त को क्यों मनाया जायगा।

इस साल राखी बांधने का शुभ समय दोपहर 1 बजकर 26 मिनट से शाम 6 बजकर 25 मिनट तक रहेगा। कोशिश करें की इसी समय अपने भाई को राखी बांधे।

Raksha Bandhan 2025 Mahurat : रक्षाबंधन पर शुभ योग

सावन की पूर्णिमा तिथि 8 अगस्त 2025 को दोपहर 02 बजकर 12 मिनट्स से शुरू होकर 9 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 24 मिनट पर समाप्त होगी।

हिन्दू पंचांग के अनुसार 9 अगस्त 2024 शनिवार के दिन रक्षाबंधन मनाई जाएगी।

राखी बांधने का शुभ मुहूर्त : सुबह 05 बजकर 47 मिनट से दोपहर 01 बजकर 24 मिनट तक रहेगा.

रक्षा बंधन चौघडिया शुभ मुहूर्त- 9 अगस्त 2025

अमृत03:46 PM
11:06 PM
05:26 PM
12:27 AM, अगस्त 10
काल (काल वेला)05:47 AM
05:26 PM
07:27 AM
07:06 PM
शुभ07:27 AM
09:46 PM
09:07 AM
11:06 PM
रोग09:07 AM
01:47 AM
10:47 AM
03:07 AM, अगस्त 10
उद्बेग10:47 AM
08:26 PM
12:26 PM
09:46 PM
चर12:26 PM
12:27 AM
02:06 PM
01:47 AM, अगस्त 10
लाभ (वार वेला)02:06 PM
07:06 PM
03:46 PM
08:26 PM
अमृत03:46 PM
11:06 PM
05:26 PM
12:27 AM, अगस्त 10

Raksha Bandhan Ka Mantra रक्षाबंधन पर करें इस मंत्र का जाप


येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि ,रक्षे माचल माचल:।

अर्थ- इस मन्त्र का अर्थ है कि “जो रक्षा धागा परम कृपालु राजा बलि को बांधा गया था, वही पवित्र धागा मैं तुम्हारी कलाई पर बाँधता हूँ, जो तुम्हें सदा के लिए विपत्तियों से बचाएगा”।

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रक्षाबंधन के दिन पूजा कब और कैसे करना चाहिए?

रक्षाबंधन का दिन बहुत शुभ माना जाता हैं इस दिन सबसे पहले सुबह उठ कर भाई और बहन को स्नान करना चाहिए, इसके बाद साफ-सुथरे कपड़े पहनें।

हो सके तो मंदिर जाये महादेव को एक लोटा जल चढ़ाये यदि मंदिर ना जा पाएं तो फिर घर के मंदिर में दीपक जलाकर सूर्य देव को जल चढ़ाएं।

How to tie rakhi step by step :राखी कैसे बांधना चाहिए /राखी बांधने की विधि क्या है?

  • भगवान का नाम ले कर राखी बांधने की थाली को तैयार करें। जिसमे राखी, अक्षत, नारियल, कुमकुम, सिर पर रखने के लिए छोटा सा रुमाल, घी का दीपक, एक कलश, सुपारी, कलावा, मिठाई रखनी होगी।
  • यदि आपका भाई छोटा हैं तो उसके हाथ में हैसियत के अनुसार नेक भी रखना चाइये।
  • अब मुहूर्त पर सबसे पहले आपको दीपक जलाना होगा। जमीन पर अक्षत रख स्वस्तिक बनाये।
  • इसके बाद कलश की पूजा करें। अब भाई को तिलक लगाने कुमकुम ,अक्षत फिर राखी बंधे मिठाई खिलाये।
  • भाई की आरती उतारें। और मन में कामना करें की आपके भाई की उन्नति हो और घर में सुख शांति बनी रहें।

चलिए अब जानते हैं रक्षा बंधन से जुड़ें कुछ सवालो के जवाब।

FAQ Of Raksha Bandhan : जाने रक्षा बंधन से जुड़े सवाल

राखी की थाली में आपको राखी, कुमकुम, अक्षत, नारियल, सिर पर रखने के लिए छोटा सा रुमाल, घी का दीपक, एक कलश, सुपारी, कलावा, दही और मिठाई रखनी होगी।

रक्षाबंधन कब मनाया जाता है?

रक्षा बंधन सावन माह की पूर्णिमा तिथि को मनाया मनाया जाता हैं।

राखी किसे बांधी जा सकती है?

राखी बहन अपने भाई को बांधती है। लेकिन जिस बहन का भाई नहीं होता वो कई परिवारों में बेटी अपने पिता को, भाभी अपने देवर या जेठ को भी बांधती हैं । यदि दो बहनें होती हैं तो एक-दूसरे को भी राखी बांध देती हैं।

रक्षाबंधन भाई बहन एक दूसरे से दूर हो तो कैसे मनाये ?

यदि बहन अपने भाई से दूर हो तो कोरियर से राखी भाई के पास पंहुचा सकती हैं। आज कल तो कई वेबसाइट से जो गिफ्ट पैक में मिठाई , राखी, रोली, कुमकुम आने लगे है जिसे आप डायरेक्ट डिलीवर करवा सकते हैं।

रक्षाबंधन के दिन क्या खाया जाता है?

रक्षाबंधन के दिन कुछ भी खा सकते हैं परन्तु कुछ स्पेशल डिश बनाते है जिससे दिन भी स्पेशल हो सके।

क्या रक्षाबंधन केवल हिंदू धर्म में मनाया जाता है?

नहीं, रक्षाबंधन हिन्दू धर्म में ही नहीं बल्कि अन्य धर्मों में भी मनाया जाता है। भारत के अलावा नेपाल और मॉरीशस में भी यह त्योहार मनाया जाता है।

धर्मकहानी : उम्मीद करते हैं आपको रक्षाबंधन (Raksha Bandhan 2024) से जुडी सभी जानकारी प्राप्त हो गयी होगी। आपको यह आर्टिकल कैसा लगा हमें कमेंट में जरूर बताये। और कोई और जानकारी रक्षा बंधन से जुडी जानना हो तो वो भी कमेंट में बता सकते हैं। हम कोशिश करेंगे की जल्द से जल्द आपके लिए सवाल का जवाब ला सकें।

धन्यवाद