मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर में स्थित महाकालेश्वर मंदिर शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इस मंदिर का कई पौराणिक ग्रंथों में काफी सुंदर वर्णन मिलता है। यहां भगवान शिव के दर्शन के लिए पूरे साल भक्तों का तांता लगा रहता है। कार्तिक पूर्णिमा, वैशाख पूर्णिमा एवं दशहरे पर यहां विशेष मेले लगते हैं। भगवान शिव के इस ज्योतिर्लिंग का श्रृंगार भस्म और भांग से किया जाता है। यहां की भस्मारती विश्व प्रसिद्ध है। इसे ‘महाकाल’ इसलिए कहा जाता है कि प्राचीन समय में यहीं से संपूर्ण विश्व का मानक समय निर्धारित होता था जिस कारण इस ज्योतिर्लिंग का नाम ‘महाकालेश्वर’ रखा गया है।
महाकाल के दर्शन कैसे करे?
महाकालेश्वर मंदिर का इतिहास?
ऐसे हुई थी भगवान महाकाल की स्थापना: पुराणों के अनुसार, अवंतिका यानी उज्जैन भगवान शिव को बहुत प्रिय था। एक समय अवंतिका नगरी में एक ब्राह्मण रहता था। जिसके चार पुत्र थे। दूषण नाम के राक्षस ने अवंतिका में आतंक मचा दिया। वह राक्षस उस नगर के सभी वासियों को पीड़ा देना लगा। उस राक्षस के आतंक से बचने के लिए उस ब्राह्मण ने भगवान शिव की आराधना की। ब्राह्मण की तपस्या से खुश होकर भगवान शिव धरती फाड़ कर महाकाल के रूप में यहां प्रकट हुए और राक्षस का वध करके नगर की रक्षा की। नगर के सभी भक्तों ने भगवान शिव से उसी स्थान पर हमेशा रहने की प्रार्थना की। भक्तों के प्रार्थना करने पर भगवान शिव अवंतिका में ही महाकाल ज्योतिर्लिंग के रूप में वहीं स्थापित हो गए।
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उज्जैन महाकाल ज्योतिर्लिंग मंदिर कैसे पहुंचे?
How to Reach Mahakaleshwar Jyotirlinga ?
उज्जैन से लगभग 45 कि.मी की दूरी पर इन्दौर का एयरपोर्ट है। वहां तक हवाई मार्ग से आकर रेल या सड़क मार्ग से महाकाल मंदिर पहुंचा जा सकता है। देश के लगभग सभी बड़े शहरों से उज्जैन के लिए रेल गाड़ियां चलती हैं। उज्जैन पहुंचने के लिए सड़क मार्ग का भी प्रयोग किया जा सकता है।
महाकाल मंदिर के आस-पास घूमने के स्थान: यहां पास में ही हरिसिद्धि मंदिर है। जो देवी सती के इक्यावन शक्ति पीठों में से एक है। यहां प्रसिद्ध कालभैरव मंदिर भी है। जहां भगवान की मूर्ति को प्रसाद के रूप में मदिरा चढ़ाई जाती है। उज्जैन शहर के मध्य में गोपाल मंदिर है जो भगवान कृष्ण का दर्शनीय मंदिर है। यहां का मंगलनाथ मंदिर भी काफी फेमस है। मंगल संबंधी दोषों का नाश करने के लिए यह देश का एक मात्र मंदिर है।
6 June 2023 Update:- श्री महाकालेश्वर मंदिर पर सोमवार दोपहर आम आदमी पार्टी (AAP) के कार्यकर्ताओं ने मंदिर में सशुल्क दर्शन व्यवस्था व श्री महाकाल लोक में आंधी तूफान के कारण सप्त ऋषि की प्रतिमाओं के गिरने को लेकर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए विरोध प्रदर्शन किया है। महाकाल प्रबंधन को सद्बुद्धि देने की बाबा महाकाल से प्रार्थना भी की।
Today’s Mahakal & Bhasm Aarti Darshan
Mahakal Bhasm Aarti Darshan
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महाकाल ज्योतिर्लिंग मंदिर के अनजाने रहस्य
Mystery of Mahakaleshwar Temple Bhasm Aarti
- महाकाल ज्योतिर्लिंग मंदिर में प्रतिदिन सुबह भस्म आरती होती है। जो बहुत ख़ास होती हैं उसमे ताजे मुर्दे की भस्म से भगवान महाकाल का श्रृंगार किया जाता है। महाकाल भस्म आरती के लिए बुकिंग ऑनलाइन करनी चाहिए। बिना ऑनलाइन बुकिंग के लिए भक्त आरती में शामिल नहीं हो सकते हैं।
- महाकाल मंदिर के दर्शन करने के बाद जूना महाकाल के दर्शन करना जरूरी माना गया है। तभी महाकाल दर्शन पूर्ण माना जाता हैं।
- उज्जैन महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग को 3 खंडों में विभाजित है। निचले खंड में महाकालेश्वर मंदिर, मध्य खंड में ओंकारेश्वर तथा ऊपरी खंड में श्री नागचन्द्रेश्वर मंदिर स्थित है। नागचन्द्रेश्वर शिवलिंग के दर्शन साल में एक ही बार नागपंचमी के दिन ही होते हैं। उस दिन भक्तों का जमावड़ा लग जाता हैं।
- उज्जैन नगरी का एक ही राजा माना जाता है वह है महाकाल बाबा। ऐसी कहा जाता है कि विक्रमादित्य के शासन के बाद से यहां किसी भी राजा का शासन नहीं रहा यहाँ तक की राजा रात में नहीं रुक सकता। कहा जाता है कि किसी बड़े पद पर पदस्त व्यक्ति जैसे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री यहाँ रात नहीं रुक सकता। जिसने भी यहाँ रुकने की कोशिश की हैं वो संकटों से घिरकर मारा गया।
- भगवान महाकालेश्वर के गर्भगृह में एक विशाल दक्षिणमुखी शिवलिंग स्थित है। साथ ही माता पार्वती, भगवान गणेश व कार्तिकेय की प्रतिमाएं भी स्थित हैं। गर्भगृह में नंदी दीप स्थापित है, जो सदैव प्रज्वलित होता रहता है।
ज्ञानAxis.com :- उम्मीद करते हैं महाकाल ज्योतिर्लिंग मंदिर से जुड़े हर सवाल का जवाब मिल गया होगा। यदि आपके मन में धर्म से जुड़े कोई सवाल हैं। तो हमें कमेंट सेक्शन में बताये हम पूरी कोशिश करेंगे की जल्द से जल्द जवाब दे सके।
धन्यवाद
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