दोस्तों, क्या आप भी भगवान शिव को प्रसन्ना करने के लिए शिवजी को जल अर्पित करते है ? अगर हाँ तो जान लीजिये की शिवजी पर जल किस दिशा से चढ़ाना चाहिए? कौन से पात्र से अर्पित करें जल?
सावन के माह में जल चढ़ाने का सही तारिका
श्रावण माह में शिवजी पर जल चढाने का विशेष महत्व होता हैं लेकिन जल चढाने का सही तरीका यह हैं की जल दो पात्र मे लेना चाहिए और दोनो पात्रो का जल एक साथ शिवजी पर समर्पित करना चाहिये! कहा जाता हैं की सावन महिने में पुरी प्रथ्वी का भार शिवजी पर होता हैं इसलिए शिवजी ने माँ गंगा से अपने साथ विराजित होने के लिये आग्रह किया लेकिन गंगाजी ने कहा कि आपके शिवलिंग पर गणेश, कार्तिकेय, अशोक सुन्दरी और पांच पुत्रियो का स्थान हैं मैं कहा विराजमान हो सकती हूँ, तब शिवजी ने कहा कि दो पात्रो से जब शिवलिंग पर जल चढ़ाया जायेगा तब एक पात्र का जल गंगा जल मे परिवर्तीत हो जायेगा और इसलिये किसी को भी अलग से गंगा जल लाने कि आवश्यकता नहीं होगी!
किस दिशा की ओर चढ़ाएं जल (Shivling Par Jal Chadhane Ki Disha)
अमूमन कई लोग भगवान शिव को जल चढ़ाते समय दिशा और नियम का ध्यान नहीं रखते है और ऐसे ही जल चढ़ा देते है। इसलिए आज हम आपको बताएँगे की किस दिशा से चढ़ाना चाहिए शिवजी को जल। दोस्तों, महादेव को जल कभी भी पूर्व दिशा को मुँह करके नहीं चढाना चाहिए वह इसलिए की क्यों की पूर्व दिशा ही भगवान शिव का मुख्य प्रवेश द्वार माना जाता है। इस दिशा की ओर मुँह करने से शिव के प्रवेश द्वार पर अवरोध होता हैं और वे रुष्ट हो जाते है। महादेव को जल हमेशा उत्तर दिशा की ओर चढ़ाना चाहिए क्यों की उत्तर दिशा को शिवजी का बायाँ अंग माना जाता है जो माता पार्वती को समर्पित है। उत्तर दिशा की ओर मुँह करके जल चढाने पर भगवान शिव और माता पार्वती दोनों की कृपा प्राप्त होती है।
कौन से पात्र से अर्पित करें जल (koun se patra se shivling par jal chadaye)
शिवजी पर जल अर्पित करते हुए एक बात हमेशा याद रखना चाहिए की आप की धातु के पात्र से जल अर्पित करना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार जल चढाने के लिए सबसे अच्छे पात्र तांबे, चाँदी और कांसे के माने जाते है। याद रखिये आप कभी भी स्टील के पात्र से शिवजी को जल अर्पित न करे, ऐसा करने से भगवान शिव रुष्ट हो जाते है हालाँकि सबसे अच्छा और सर्वोत्तम पात्र ताम्बे का ही होता हैं। इसलिए ताम्बे के पात्र से ही जल चढ़ाना चाहिए। लेकिन याद रखने के लिए एक बात ये भी है की तांबे के बर्तन से दूध नहीं चढ़ाना चाहिए क्यों की तांबे के बर्तन में दूध विष के समान हो जाता हैं।
तेजी से शिवलिंग पर जल न चढ़ाएं
शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय ध्यान रखे की जल तेजी से या जल्दबाज़ी में नहीं चढ़ाना चाहिए। हमारे शास्त्रों में बताया गया है की शिवजी को जल धारा बहुत प्रिय है। इसलिए हमें हमेशा ही याद रखना चाहिए की जल के पात्र से धीरे धीरे जल धारा बनाकर जल अर्पित करना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार धीमी और पतली जल धारा बहुत ही प्रिय होती है और इससे विशेष कृपा प्राप्त होती है।
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बैठकर ही जल चढ़ाये (Shiv ji Par Jal Kaise Chadhaye)
हमें हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए की शिवजी पर जल हमेशा बैठकर ही चढ़ाये। यह बात भी ध्यान रखे की रुद्राभिषेक के समय भी खड़े नहीं रहना चाहिए। पुराणों और शास्त्रों के अनुसार खड़े हो कर जल चढाने से शिवजी को जल समर्पित नहीं होता और जल चढाने का पुण्य प्राप्त नहीं होता।
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