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मायोपिया जैसी भयंकर बीमारी का शिकार हो रहें हैं। बच्चा जैसे ही नज़र देने लगता हैं आज कल व्यक्ति मोबाइल दिखाना शुरू कर देते हैं जिससे बच्चो में मोबाइल को ले कर उत्सुकता बाद जाती हैं। पीछे समय में हमने कोरोना जैसी महामारी का सामना किया उस समय में बच्चे और बड़े दोनों ही अपना अधिकांश समय कंप्यूटर ,टेबलेट या मोबाइल फ़ोन पर बिता रहे थे। कोरोना कल तो समाप्त हो गया लेकिन हमारी मोबाइल की आदत अभी भी हैं। बड़े टब भी कण्ट्रोल कर सकते हैं लेकिन बच्चो में इसका दुष्परिणाम देखने बहुत ज्यादा मिल रहा हैं बच्चे छोटी सी आगे में ही बहुत बड़ी बड़ी बीमारियों से सामना करना पढ़ रहा हैं इसीलिए आज हम आपको इस आर्टिकल के जरिये अवगत करने आये है की बच्चो में स्क्रीन टाइम ज्यादा होने से कौन कौन सी भयंकर बीमारियों का सामना करना पद सकता हैं।
बच्चो में Screen-Time ज्यादा होने से होने वाली बीमारियाँ (Screen Time Causes Diseases in child)
बच्चे अपनी डेली लाइफ की बेसिक क्रियाएं भोजन करना,नहाना जैसे काम भी मोबाइल को देखते देखते करते हैं। कुछ बच्चो को तो भोजन करते समय कितना भोजन कर रहे हैं इसका भी आभास नहीं रहता हैं। इसीलिए माता पिता को सतर्क होना अति आवश्यक हो गया हैं। की वो स्क्रीन टाइम को काम करें वरना गयी बीमारियों का शिकार कही आपका बच्चा ना हो जाये।
मायोपिया (निकट दृष्टि दोष )
निकट दृष्टि दोष को मेडिकल भाषा में मायोपिया कहा जाता हैं। भारत में इस बीमारी से पीड़ितों का प्रतिशत 30 से 40 प्रतिशत तक हैं। वो भी 40 से 60 साल के व्यक्तियों में देखा जाता था। लेकिन अभी कुछ महीनों में यह बीमारी बच्चो में भी देखने मिल रही है जो चिंता का विषय हैं। मायोपिया में आँख की पत्नी का साइज बढ़ जाता हैं और रेटिना पर प्रतिबिम्ब सही नहीं बनता या कहे थोड़ा आगे बनता है जिससे दूर की वस्तुएं देखने में परेशानी आने लगती हैं।
आज के माता पिता बच्चों को सँभालने के स्थान पर खुद तो मोबाइल चलते ही हैं बच्चो को भी टेबलेट व मोबाइल हाथ में पकड़ा देते हैं जिससे वो अपनी हेल्थ के साथ को गलत करते हैं लेकिन बच्चे छोटे पर तो खतरनाक असर डालता हैं कियुकी इस समय उनके दिमाग और शरीर के विकास हो रहा होता हैं।
मायोपिया (निकट दृष्टि दोष ) होने के कारण (Causes of Myopia in Children’s)
- लम्बे समय तक स्क्रीन टीवी, मोबाइल, टेबलेट, कंप्यूटर) का देखना।
- सही दुरी पर रख कर स्क्रीन या किताबों ना पढ़ना।
- नेचुरल लाइट में काम जाना भी मायोपिया का ख़तरा बढ़ा देता हैं। बच्चे पूरा दिन मोबाइल चलने के कारण बाहर खेलने नहीं जाते हैं।
मायोपिया (निकट दृष्टि दोष ) होने के लक्षण (Symptom’s of Myopia In Children’s)
मायोपिया (निकट दृष्टि दोष ) के हम कुछ ऐसे लक्षण बता रहे है जो आपके बच्चे में जैसे ही दिखे तुरंत आखों के डॉक्टर के पास जाये और चेक कराएं।
- आँखों में बार बार पानी आना।
- सिर में दर्द होना।
- दूर की वस्तुएँ स्पष्ट ना दिखना या दूर कोई व्यक्ति खड़ा हो उसे पहचानने में कठिनाई होना।
- आखों की पलकों का बार बार झपकना।
- चिड़चिड़ापन और बार बार आँखों को मसलना।
- फिसिकल ग्रोथ में कमी
- पढ़ाई पर फ़ोकस न कर पाना
- ब्लैक बोर्ड पर लिखा दिखाई न देना।
- कॉपी में ब्लैकबोर्ड से गलत लिख कर घर लाना।
मायोपिया (निकट दृष्टि दोष ) के उपचार की बात करें तो सर्जिकल और नॉन सर्जिकल दोनों उपलब्ध हैं लेकिन यह आपके बच्चे पर निर्भर करता हैं की वो मायोपिया (निकट दृष्टि दोष ) से कितना पीड़ित हैं।
मायोपिया (निकट दृष्टि दोष ) से रोकथाम ( How To Stop Myopia in Children’s)
मायोपिया (निकट दृष्टि दोष ) रोकथाम की बात करें तो
- सबसे पहले आपको आपके बच्चे का स्क्रीन टाइम बिलकुल बंद करना होगा। इसके लिए आप धीरे धीरे कम करें ताकि उसके दिमाग पर भी असर ना हो।
- रोज दिन में 2-3 बार आँखो को ठन्डे पानी से धोये।
- बच्चो को आउट डोर एक्टिविटीज़ की तरफ जोर दे। आप इन एक्टिविटीज में इन्वॉल्व होये जिससे उनको भी रूचि जागे।
- बच्चो को स्क्रीन के अलावा दूसरे टास्क में बिजी रखे जैसे ड्रॉइंग, बोर्ड गेम्स।
मेन्टल डिप्रेशन (Mental Depression in Child)
मेन्टल डिप्रेशन या कहे स्ट्रेस जैसी बीमारी के बारे में हर कोई बात करने से हिचपिचाता हैं। कई व्यक्ति इससे ग्रषित होते हैं लेकिन उन्हें खुद मालूम नहीं होता। लेकिन आज कल बच्चों में भी यह बीमारी देखने में आ रही हैं। बच्चे तो नासमझ होते हैं लेकिन उनके माता पिता भी अनजान रहते हैं। जिससे यदि बच्चा कोई भी टेंट्रम करता हैं तो उसे डाटते हैं यहाँ तक की कुछ तो हाथ भी उठा देते हैं। जिससे बच्चे घबरा जाते हैं और अपना सेल्फ कॉन्फिडेंट भी खो देते हैं। इसीलिए आज हम इस पर बात कर रहें हैं।
मेन्टल डिप्रेशन मुख्यतः स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताने से होता हैं कियुकी आज कल बच्चे मोबाइल पर कुछ भी देखते हैं रील्स जिसमे क्राइम की बाते तो टीवी पर कार्टून लम्बे समय तक देखने से वो कार्टून की तरह ही बर्ताव करने लगते हैं।
बच्चों में मेन्टल डिप्रेशन का कारण ( Causes of Mental Depression in Child)
बच्चो में मेन्टल डिप्रेशन का मुख कारण ज्यादा स्क्रीन टाइम हैं। कियुकी बच्चे पूरा टाइम स्क्रीन के सामने रहते हैं तो ना वो घर में किसी से ढंग से बात करते हैं। ना घर से बाहर निकलते हैं। ना फ्रेंड्स के साथ खेलते हैं। ना घर का कोई काम करते हैं जिससे उनका मैंटल ग्रोथ हो।
बच्चों में यह समय मेन्टल और फिसिकल ग्रोथ का होता हैं उस समय वो कुछ कर ही नहीं रहे होते हैं ऐसे में जहा उनकी ग्रोथ 70 से 90 प्रतिशत होने के स्थान पर 30 से 40 प्रतिशत होती हैं।
बच्चों में मेन्टल डिप्रेशन के लक्षण (Symptoms of Mental Depression in Child)
बच्चो में मेन्टल डिप्रेशन के लक्षण बहुत ही साधारण हैं निचे सूचि दी गयी हैं आप देख ले कही आपके बच्चे में यह लक्षण तो नहीं दिखाई दे रहें।
- बच्चों में चिड़चिड़ापन
- घर में किसी से भी ढंग से बात ना करना।
- पढाई पर ध्यान ना देना।
- घर के सदस्यों से बतमीज़ी
- आत्मविश्वास की कमी होना।
- छोटी छोटी बातों पर रोना।
गेमिंग एडिक्शन ( Gaming Addiction)
आज कल आये दिन पेपर हो या न्यूज़ चेंनल हो गेमिंग एडिक्शन की ख़बरें आती ही रहती हैं। गेमिंग एडिक्शन के चलते गवर्नमेंट ने कई गेमिंग साइट्स तो बंद ही कर दी हैं। लेकिन जहा बच्चे दिन में 5-6 घंटे मोबाइल चलते हैं तो गेम खेलना तो आम हो गया है। कुछ कुछ गेम्स में तो 18 साल से छोटे बच्चे खेल ही नहीं सकते हैं लेकिन भी फैक आईडी बना बना कर खेलते हैं और अपने लिए परेशानियों को आमंत्रित करते हैं।
गेमिंग एडिक्शन के लक्षण (Causes of Gaming Addiction in Child)
गेमिंग एडिक्शन के लक्षणों की बाटर करें तो यह बहुत साधारण हैं आप आसानी से पहचान सकते हैं। बच्चे का गेम खेलने के लिए लड़ना , रोना ,ज़िद्दी करना और लम्बे समय तक गेम खेलते रहना। कुछ बच्चो में तो ये भी देखा गया है की यदि कोई नेक्स्ट लेवल ना पार कर प् रहे हो तो पूरी पूरी रात नींद तक नहीं आती।
गेमिंग एडिक्शन से रोकथाम (How to Recover From Gaming Addition )
गेमिंग एडिक्शन से रोकथाम की बात करें तो सबसे पहले श्रीं तिम्र काम करें।
होम एक्टिविटीज या टॉयज ला कर दे जिसमे उसको पजल या जोड़ी मिलाना हो कलर करना हो या क्ले भी दे सकते हैं जिसके वह बिज़ी रहें।
ड्राई आँखें ( Dry Eyes)
बच्चो में ड्राई आँखें की समस्या बहुत देखने में आ रही है। ज्यादा स्क्रीन के सामने रहने से स्क्रीन से निकालने वाली किरणे आखों को डेमेज या कहे ड्राई कर देते हैं।
ड्राई आँखों के होने से बच्चो की दृष्टि भी कमजोर हो जाती हैं धीरे धीरे दिखाई देना काम हो जाता हैं
अब यह आर्टिकल पड़ने के बाद आपके मन में कुछ सवाल आ रहे होंगे उनका जवाब निचे पढ़ें
FAQ
बच्चों पर मोबाइल फोन के हानिकारक प्रभाव क्या होतें हैं ?
बच्चों पर मोबाइल फोन के हानिकारक प्रभावों की बात करें तो कई होते हैं जैसे आखो का कमजोर होना , चिड़चिड़ापन , इमोशनल टेनट्रम करना, पढ़ाई पर ध्यान न देना और आत्म विश्वास की कमी होना।
कितने साल के बच्चों को मोबाइल देखना चाहिए?
1 साल तक के बच्चे को बिलकुल मोबाइल नहीं देना चाहिए और 1 साल से बड़े बच्चे को 10 से 15 मिनट दे सकते हैं। और 5 साल से बढ़े बच्चे को 1 घंटा बूत कोशिश करें की आपका बच्चा पढ़ाई या होमवर्क के टाइम पर ही मोबाइल का इस्तेमाल करें। कियुकी मोबाइल का इस्तेमाल हर सिचुएशन में हानिकारक ही होता हैं।
बच्चे मोबाइल मांगे तो क्या करना चाहिए?
बच्चे मोबाइल मांगे तो क्या करें उसके सामने से मोबाइल हटा दे और उसे दूसरी एक्टिविटीज में बिजी रखे पार्क घुमा लाये , ड्रॉइंग करें खेले।
छोटे बच्चों के लिए मोबाइल क्या असर डालता हैं ?
छोटे बच्चों के लिए मोबाइल बहुत खतरनाक असर डालता हैं उसके मेन्टल और फिसिकल विकास को रोक देता हैं।
1 दिन में कितने घंटे मोबाइल चलाना चाहिए?
1 दिन में बच्चे को 1 घंटे ही मोबाइल चलाना चाहिए और यदि बड़ो की बात करें तो 2-3 घंटे चला सकते हैं। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है की मोबाइल का इस्तेमाल जितना काम कर सके उतना काम करना चाहिए।
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