Pradosh Vrat Vidhi :- प्रदोष व्रत कथा, आरती, उद्यापन की विधि तथा प्रदोष कितने होते हैं उनसे होने वाले लाभ।

By | 28 November 2023
pradosh Vrat Vidhi

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प्रदोष व्रत की महिला बड़ी ही अनमोल हैं। प्रदोष व्रत भगवान शिव का शाक्षी हैं जीवन में बड़ी से बड़ी समस्या हो या शरीर को किसी बड़े रोग ने जकड़ लिया हो ऐसे में यदि प्रदोष का व्रत किया जाये तो आपके लिए प्रदोष का व्रत जीवन दायक शाबित हो सकता हैं। प्रदोष का व्रत त्रयोदशी तिथि के दिन किया जाता हैं। प्रदोष का व्रत माह में दो बार आता हैं एक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी और एक शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के दिन। कहा जहा हैं की त्रयोदशी के दिन प्रदोष काल में भगवान शिव कैलाश पर्वत स्थित अपने रजत भवन में नृत्य करते हैं। इसलिए इस समय पर यदि व्रत करने वाले या जिन्होंने व्रत न भी किया हो भगवान शिव या कहे महादेव की पूजा अर्चना करते हैं तो उनकी मनचाही मनोकामना की पूर्ति हैं।

Table of Contents

Pradosh kaal kis samay hota hai / प्रदोष काल कब होता हैं।

Pradosh Kaal Time प्रदोष काल का समय कब होता हैं यह प्रश्न सभी को होता हैं। प्रदोष काल सूर्य अस्त होने से 45 मिनट पहले का टाइम और सूर्य अस्त होने के 15 मिनट बाद का समय होता हैं।

उदाहरण

यदि सूर्य अस्त 7 बजे होने वाला हैं तो प्रदोष काल 6 बजकर 15 मिनट से शुरू होकर 7 बजकर 45 मिनट पर समाप्त हो जायगा।

Pradosh Vrat Pujan Vidhi प्रदोष व्रत पूजा विधि

प्रदोष व्रत की सम्पूर्ण पूजा विधि

प्रदोष व्रत का जितना महत्त्व होता हैं उससे ज्यादा महत्त्व प्रदोष व्रत पूजन का होता हैं। प्रदोष व्रत पूजन प्रदोष काल में किया जाता हैं। प्रदोष काल को ले कर सभी सवालो के जवाब ऊपर मिल ही गए होंगे।

प्रदोष व्रत में पूजन करने से पहले स्नान कर लें।

स्नान करने के बाद साफ-स्वच्छ वस्त्र पहन लें।

इसके बाद पूजन शुरू करने से पहले पूजन की थाली तैयार कर ले।

घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।

भगवान भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक करें।

ॐ नमः शिवाय या श्री शिवाय नमस्तुभ्यं का जाप करते रहें।

फिर भोलेबाबा को स्नान कराये , पंचामृत से अभिषेक करें।

जनेऊ धारण कराएं फिर पूजन सामग्री से पूजन करें।

प्रदोष व्रत में माता पार्वती व गणेश जी का भी पूजन किया जाता हैं।

धुप , दीप लगाएं और फिर भोग , फल चढ़ाये।

Pradosh Vrat Aarti प्रदोष व्रत आरती

प्रदोष पूजन जब तक पूर्ण नहीं हो सकता जब तक आरती न हो। प्रदोष व्रत में सबसे गणेश जी की आरती करना चाहिए फिर Pradosh Vrat Aarti Hindi करें।

Pradosh Vrat Katha Katha प्रदोष व्रत की कथा

प्रदोष व्रत सम्पूर्ण कथा

पौराणिक कथानुसार दक्ष प्रजापति ने अपनी 27 नक्षत्री कन्याओं का विवाह चंद्र के साथ संपन्न हुआ। 27 नक्षत्री कन्याओं में से रोहिणी बहुत ही खूबसूरत थी इसीलिए चंद्र रोहिणी से अधिक स्नेह करने लगे ऐसे में शेष कन्याएँ बहुत दुःखी रहने लगी ऐसे करते-करते कुछ वर्ष बीत गए फिर सभी कन्याओं ने अंततः पिता दक्ष से अपना दु:ख प्रकट किया।

जैसे हर पुत्री का का दुःख पिता को भी दुखी कर देता हैं चुकी दक्ष स्वभाव प्रवृत्ति के थे और उन्होंने क्रोध में आकर चंद्र को श्राप दिया कि तुम क्षय रोग से ग्रस्त हो जाओगे।

धीरे-धीरे चंद्र क्षय रोग से ग्रसित होने लगे। उनकी कलाएं क्षीण होना प्रारंभ हो गयी। नारदजी ने चंद्रदेव को मृत्युंजय भगवान आशुतोष की आराधना करने को कहा, तत्पश्चात दोनों ने भगवान आशुतोष की आराधना की।

चंद्र जब अंतिम सांसें गिन रहे थे (चंद्र की अंतिम एकधारी) कि भगवान शंकर ने प्रदोषकाल में चंद्र को पुनर्जीवन का वरदान देकर उसे अपने मस्तक पर धारण कर लिया अर्थात चंद्र मृत्युतुल्य होते हुए भी मृत्यु को प्राप्त नहीं हुए। पुन: धीरे-धीरे चंद्र स्वस्थ होने लगे और पूर्णमासी पर पूर्ण चंद्र के रूप में प्रकट हुए।

‘प्रदोष में दोष’ यही था कि चंद्र क्षय रोग से पीड़ित होकर असहनीय कष्टों को भोग रहे थे। ‘प्रदोष व्रत’ इसलिए भी किया जाता है कि महादेव ने उस महादोष का निवारण कर उन्हें पुन:जीवनदान दिया अत: हमें उस शिव की आराधना करनी चाहिए जिस तरह चंद्रदेव की रक्षा की थी वैसे ही महादेव हमें भी सभी कष्टों से मुक्त कर देंगे।

स्कन्द पुराण में प्रदोष व्रत का पूरा विवरण दिया गया हैं। चुकी प्रदोष व्रत अलग अलग दिन आता हैं इसीलिए प्रदोष व्रत का नाम और महत्त्व भी बदल जाता हैं। सोमवार को यदि आता हैं तो सोम प्रदोष आइये जानते हैं किस दिन आने पर प्रदोष को किस नाम से जाना जाता हैं और इसका क्या महत्त्व हैं।

Solah Somvar Vrat Vidhi

प्रदोष व्रत पूजन सामग्री | Pradosh Vrat Pujan Samagry

  1. सफ़ेद फूल,
  2. बेलपत्र,
  3. धूप,
  4. दीप,
  5. रोली,
  6. मिठाई,
  7. कपूर,
  8. पुष्प,
  9. अक्षत,
  10. चन्दन,
  11. आरती की थाली,
  12. पंचामृत,
  13. जनेऊ,

Types of Pradosh and Benefits / कितने प्रदोष होते हैं और उनके लाभ।

kis din koun sa pradosh hota hain or pradosh se hone laabh

रविवार : भानुप्रदोष या रवि प्रदोष व्रत

यदि कृष्ण पक्ष या शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि यानि प्रदोष व्रत रविवार के दिन पड़ता है तो उसे भानुप्रदोष या रवि प्रदोष कहते हैं। रवि प्रदोष का संबंध सीधा सूर्य से होता है। अत: चंद्रमा के साथ सूर्य भी आपके जीवन में सक्रिय रहता है।

रवि प्रदोष व्रत करने से लाभ

  • रवि प्रदोष के दिन नियम पूर्वक प्रदोष व्रत रखने से जीवन में सुख, शांति और लंबी आयु प्राप्त होती है।
  • यह सूर्य से संबंधित होने के कारण समाज में नाम, यश, कीर्ति और सम्मान भी दिलाता है। अगर आपकी कुंडली में अपयश के योग हो तो रवि प्रदोष का व्रत करने से दोष दूर हो जाते हैं।
  • रवि प्रदोष रखने से सूर्य संबंधी सभी परेशानियां दूर हो जाती है।

सोमवार: सोम प्रदोष व्रत

सोमवार को त्रयोदशी तिथि यानि प्रदोष व्रत आने पर इसे सोम प्रदोष (Som Pradosh Vrat)कहते हैं। यह सोम प्रदोष व्रत मनोकामना पूर्ति होती है। जिन लोगो की कुंडली में चंद्र खराब असर दे रहा हों ऐसे में प्रदोष जरूर नियम ‍पूर्वक रखना चाहिए

सोम प्रदोष व्रत के लाभ | Som Pradosh Vrat Benefit

सोम प्रदोष का व्रत रखने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

  • जीवन में शांति बनी रहेगी।
  • यदि संतान प्राप्ति होने में परेशानी आ रही हो तो सोम प्रदोष व्रत करने से संतान प्राप्ति होती हैं।

मंगलवार : मंगल प्रदोष व्रत कथा | Mangal Pradosh Vrat Katha

मंगलवार के दिन त्रयोदशी तिथि पड़ने पर इस प्रदोष को भौम प्रदोष या मंगल कहते हैं।

मंगल प्रदोष व्रत के लाभ | Mangal Pradosh Vrat Benefit

  • मंगल प्रदोष व्रत रखने से स्वास्थ्य सबंधी सभी समस्याओं से मुक्ति पाई जा सकती है।
  • इस दिन प्रदोष व्रत विधिपूर्वक रखने से कर्ज से छुटकारा मिल जाता है।

बुधवार : बुध प्रदोष व्रत कथा | Budh Pradosh Vrat

जैसे की आप जानते हैं त्रयोदशी तिथि माह में दो बार आती हैं। यदि त्रयोदशी तिथी या कहें प्रदोष व्रत बुधवार के दिन आता हैं तो इसे बुध प्रदोष भी कहा जाता है

बुध प्रदोष व्रत के लाभ | Budh Pradosh Vrat Benefit

  • यह शिक्षा एवं ज्ञान प्राप्ति के लिए किया जाता है।
  • प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति को संतान सुख और समृद्धि मिलती है।
  • इस व्रत को करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
  • इसके प्रभाव से वैवाहिक जीवन सुखमय बनता है।

गुरुवार : गुरुवारा प्रदोष | Guruwara Pradosh Vrat

प्रदोष गुरुवार के दिन पड़ने पर प्रदोष पड़ने पर इसे गुरुवारा प्रदोष कहते हैं। इस दिन विधिपूर्वक व्रत करने से बृहस्पति ग्रह शुभ प्रभाव तो देता ही है साथ ही पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।

गुरुवारा प्रदोष व्रत के लाभ | Guruwar Pradosh Vrat Benefit

  • गुरुवार प्रदोष शत्रु एवं खतरों के विनाश के लिए किया जाता है।
  • यह करियर में सफलता के लिए भी रखा जाता है।

शुक्रवार : शुक्र प्रदोष /भ्रुगुवारा प्रदोष | Shukra Pradosh Vrat

शुक्रवार के दिन यदि प्रदोष पड़ता है तो इसे भ्रुगुवारा प्रदोष या शुक्र भी कहा जाता है।

शुक्रवार प्रदोष व्रत के लाभ | Shukra Pradosh Vrat Benefit

  • जीवन में सौभाग्य की वृद्धि हेतु यह प्रदोष किया जाता है। सौभाग्य है तो धन और संपदा स्वत: ही मिल जाती है।
  • शुक्र प्रदोष से जीवन में हर कार्य में सफलता भी मिलती है।

शनिवार : शनि प्रदोष | Shani Pradosh Vrat

शनिवार के दिन यदि प्रदोष पड़ता है तो इसे शनि प्रदोष भी कहा जाता है।

शनिवार प्रदोष व्रत के लाभ | Shani Pradosh Vrat Benefit

  • शनि प्रदोष से पुत्र की प्राप्ति होती है।
  • अतिशीघ्र मनोकामना पूर्ति के लिए किया जाता हैं।
  • नौकरी में पदोन्नति की प्राप्ति के लिए भी किया जाता हैं।

नोट : यदि एक वर्ष के समस्त त्रयोदशी के व्रत करता है तो उसकी समस्त मनोकामनाएं अवश्य और शीघ्रता से पूर्ण होती है।

Pradosh Vrat Udhyapan प्रदोष व्रत उद्यापन सम्पूर्ण विधि

प्रदोष व्रत करने से जीवन की बड़ी से बड़ी मुसीबत से मुक्त हो जाते हैं। लेकिन प्रदोष व्रत का उद्यापन करना भी बहुत जरुरी होता हैं। माह में दो प्रदोष आते है पहला कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तथा शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के दिन।

  • प्रदोष व्रत के उद्यापन के लिए कम से कम 11 या 26 व्रत करने के बाद ही चाहिए।
  • प्रदोष व्रत का उद्यापन त्रयोदशी तिथि के दिन ही किया जाता हैं।
  • प्रदोष व्रत के उद्यापन के एक दिन पहले गणेश जी की पूजन और कीर्तन करना चाहिए।
  • प्रदोष व्रत के उद्यापन वाले दिन सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए।
  • मंडप सजा कर 108 बार ॐ नमः शिवाय के जाप कर हवन करना चाहिए।
  • आरती करें घर में शांति पाठ कराएं।
  • जिस दिन उद्यापन हो 2 पंडित जोड़ो को बुला कर खाना खिलाना चाहिए।
  • यथाशक्ति अनुसार दक्षिणा और दान देना चाहिए।

ज्ञानएक्सिस :- उम्मीद करते हैं की आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा। प्रदोष व्रत से जुडी सभी जानकारी आपको प्राप्त हो चुकी होगी। यदि अभी भी आपके कोई प्रश्न है तो आप हमें कमेंट में पूछ सकते हैं।

धन्यवाद्

2 thoughts on “Pradosh Vrat Vidhi :- प्रदोष व्रत कथा, आरती, उद्यापन की विधि तथा प्रदोष कितने होते हैं उनसे होने वाले लाभ।

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